DNS Kya Hai और Domain Name System कैसे काम करता है?

DNS Kya Hai, Domain Name System Kya Hai: यदि आप एक Internet युजर है, तो आप गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन पर अपने सवाल या कुछ भी सर्च जरूर करते होंगे। उसके बाद आपके सामने कई ब्लॉग या वेबसाइट आ जाती हैं। जिनमें से किसी पर भी क्लिक करके आप अपने सवाल का जवाब हाँसिल कर लेते हैं।

अगर आपको किसी ब्लॉग या वेबसाइट का Address यानि की Domain Name पता होता है, तो उसे Enter करके आप सीधा उस ब्लॉग पर पहुंच जाते हैं और सवाल का जवाब हाँसिल कर लेते हैं। ये सारा काम Domain Name System यानि की DNS की मदद से होते है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

हम या आप बड़ी आसानी से अपने काम के ब्लॉग या वेबसाइट के Address को याद सकते हैं और उन्हे एक्सेस कर सकते हैं और ये सारा कुछ DNS के कारण मुमकिन हुआ है। बिना DNS के आप Internet को एक्सेस तो कर पाते लेकिन अपने काम के बहुत सारे ब्लॉग या वेबसाइट के IP Address को यदि नहीं रख पाते हैं।

क्योंकि आप इंटरनेट पर क्या सर्च कर रहे इसको समझने के लिए Web Browser को समझने के लिए Numbers की आवश्यकता होती है। जिसे IP Address कहा जाता है। DNS आपके द्वारा सर्च की गई वेबसाइट को Number को IP Address में बदलता है और Web Browser को बताता है कि आप क्या सर्च कर रहे हैं।

DNS के बारे में विस्तार से जानकारी पाने के लिए आप इस लेख को अंत तक पढ़ें क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको DNS क्या है? Domain Name System कैसे काम करता है? DNS के प्रकार, DNS Record क्या होता है? IP Address और Domain Name में अंतर क्या है? आदि के बारे में बतायेंगे।

तो चलिए ज्यादा समय न लेते हुए सीधा चलते हैं अपने लेख पर और विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि DNS क्या है और Domain Name System कैसे काम करता है?

DNS क्या है? (What is DNS in Hindi)

DNS Kya Hai
DNS Kya Hai

DNS एक ऐसी प्रणाली है, जो इंटरनेट युजर्स और Web Browsers के बीच एक पुल की तरह काम करता है क्योंकि DNS इंसान के द्वारा Type किये गये डोमेन नेम को IP Address में Convert करता है। जिससे Browser पता चल जाता है कि युजर किसी ब्लॉग या वेबसाइट पर जाना चाहता है और वो उसे वहाँ पर भेज देता है।

Internet से Connect हर एक डिवाइस का अपना एक युनिक IP एड्रेस होता है। जिसका इस्तेमाल अन्य मशीनें डिवाइस को खोजने के लिए करती हैं। IP एड्रेस कुछ 192.168.1.1 (IPv4 में), या अधिक जटिल नए अल्फ़ान्यूमेरिक 2400:cb00:2048:1::c629:d7a2 (IPv6 में) जैसे होते हैं। जिन्हे याद रखना किसी मनुष्य के लिए बहुत बड़ा काम होता है। DNS इस समस्या का समाधान है।

इंटरनेट पर आपकी बहुत सी काम वेबसाइट होंगी जिनके IP एड्रेस को याद रखना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए वेबसाइट के नाम को आसानी से याद रखने के लिए डोमेन नेम बनाया गया है। जिसे शब्दों में लिखा जाता है। इन Domain Name को कोई भी आम इंसान बड़ी आसानी से याद रख सकता है और ब्राउज़र में इंटर करके अपनी जानकारी हाँसिल कर सकता है।

सरल भाषा में समझने तो DNS (Domain Name System) इंटरनेट की एक फोनबुक हैं। जहाँ पर सभी ब्लॉग या वेबसाइट के नाम डोमेन नेम और IP Address Save हैं और जो इंटरनेट युजर्स तथा वेब ब्राउज़र की मदद करता है।

DNS का पूरा नाम क्या है? (DNS Full Form in Hindi)

DNS जिसका पूरा नाम Domain Name System होता है तथा इसे Hindi में डोमेन नाम प्रणाली कहा जाता है।

  • DNS का पूरा नाम English में – Domain Name System
  • DNS का पूरा नाम Hindi में – डोमेन नाम प्रणाली

DNS का इतिहास (History of Domain Name System in Hindi)

आज से लगभग 40 से 50 साल पहले जब Internet का इस्तेमाल बहुत कम होता था। तब किसी भी वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए उसके IP एड्रेस का इस्तेमाल किया जाता था। तब ऐसा संभव भी था क्योंकि उस समय इतनी ज्यादा वेबसाइट भी नहीं थीं, लेकिन समय के साथ जब वेबसाइट की संख्या बढ़ने लगी तो लोगों को ज्यादा IP Address याद रखने में परेशानी होने लगी।

इसी समस्या को Solve करने के लिए साल 1980 में कम्प्यूटर वैज्ञानिक Paul Mockapetris ने Domain Name System को बना था। जो IP Address को इंसानी भाषा तथा इंसानी भाषा को IP Address में कंवर्ट कर देता है। जिसके बाद इंसान आपनी काम की वेबसाइट को आसानी से याद रख पाता है।

Domain Name System कैसे काम करता है?

Domain Name System कैसे काम करता है

आप शायद लेख को यहाँ तक पढ़ने के बाद DNS Kya Hai? समझ गये होंगे। यदि इतना पढ़ने के बाद भी आप DNS के बारे में अच्छे से नहीं समझें हैं, तो समझना होगा कि Domain Name System कैसे काम करता है?

जैसा कि मैंने पहले ही आपको बताया है कि इस दुनियां में जितनी भी चीजें Internet से Connect हैं। उनका एक Unique IP Address होता है। आप इसकी मदद से इंटरनेट से कनेक्ट किसी भी चीजो को बड़ी आसानी से खोज सकते हैं। फिर चाहें वह कोई ब्लॉग/वेबसाइट या डिवाइस क्यों न हो।

किसी भी डिवाइस या वेबसाइट का IP Address नंबर फॉर्म में होता है। बहुत सारी वेबसाइट के IP एड्रेस को आम इंसान के लिए याद रख पाना मुश्किल काम होता है। इसी समस्या को Solve करने के लिए Domain Name को बना गया था, लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ क्योंकि मशीने सिर्फ IP एड्रेस को ही समझती है। इसके लिए एक Converter की आवश्यकता पड़ी जो IP एड्रेस को इंसानी भाषा तथा इंसानी भाषा को IP एड्रेस में कंवर्ट कर सके। इसी Converter को DNS कहा जाता है।

जब कोई युजर अपने ब्राउज़र में कोई Domain Name जैसे (www.example.com) सर्च करता है, तो यह Domain Name System उस डोमेन नेम को IP Address में बदल देता है। इसके बाद कंप्यूटर को पता चल जाता है कि युजर किसी वेबसाइट को एक्सेस करना चाहते हैं और ब्राउज़र उस IP Address को उस ब्लॉग/वेबसाइट के Host Server से Connect कर देता है। इस प्रोसेस के बाद वो वेबसाइट युजर के ब्राउज़र में Open हो जाती है। जिसे वह आसानी से एक्सेस कर सकता है।

DNS कैसे काम करता है? इसको सरल भाषा में समझने के लिए आप DNS को Internet की Phonebook मान सकते हैं। क्योंकि यह आपके मोबाइल की फोनबुक ही तरह ही काम करता है। जैसे काम किसी व्यक्ति का मोबाइल नंबर उसके नाम से सेव करते हैं। उसके बाद उससे Call या मैसेज करने के लिए उसके नाम को सर्च करते हो ना कि उसके नंबर को। ठीक इसी तरह DNS में युजर किसी वेबसाइट के डोमेन नेम को सर्च करता है ना कि उसके IP एड्रेस को सर्च करता है।

किसी Web Page को Load करने में 4 DNS Server शामिल होते हैं

#1 – DNS Recursor – Recursor को एक लाइब्रेरियन के रूप में माना जा सकता है जिसे लाइब्रेरी में कहीं एक विशेष पुस्तक खोजने के लिए कहा जाता है। DNS Recursor एक सर्वर है जिसे वेब ब्राउज़र जैसे एप्लिकेशन के माध्यम से क्लाइंट मशीनों से क्वेरी प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आमतौर पर पुनरावर्ती ग्राहक की DNS क्वेरी को संतुष्ट करने के लिए अतिरिक्त अनुरोध करने के लिए जिम्मेदार होता है।

#2 – Root Nameserver – रूट सर्वर मानव पठनीय Host Names को IP Address में अनुवाद (समाधान) करने में पहला कदम है। इसे एक पुस्तकालय में एक सूचकांक की तरह माना जा सकता है जो पुस्तकों के विभिन्न रैक की ओर इशारा करता है, आम तौर पर यह अन्य अधिक विशिष्ट स्थानों के संदर्भ के रूप में कार्य करता है।

#3 – TLD Nameserver – Top Level डोमेन सर्वर (TLD) को लाइब्रेरी में पुस्तकों के एक विशिष्ट रैक के रूप में माना जा सकता है। यह नेमसर्वर एक विशिष्ट आईपी एड्रेस की खोज में अगला कदम है, और यह Hostname के अंतिम भाग को होस्ट करता है (example.com में, TLD सर्वर “com” है)।

#4 – Authoritative Nameserver – इस अंतिम नेमसर्वर को किताबों के रैक पर एक शब्दकोश के रूप में सोचा जा सकता है, जिसमें एक विशिष्ट नाम को उसकी परिभाषा में अनुवादित किया जा सकता है। Authoritative Nameserver, नेमसर्वर क्वेरी का अंतिम पड़ाव है। यदि Authoritative Nameserver के पास Requested रिकॉर्ड तक पहुंच है, तो यह Requested Hostname के लिए आईपी एड्रेस DNS Recursor (लाइब्रेरियन) को वापस लौटा देगा जिसने प्रारंभिक Request की थी।

DNS Record क्या होता है?

अब तो आप DNS Kya Hai के बारे में  अच्छे से समझ गये होंगे, तो चलिए अब DNS Record क्या होता है? को भी समझ लेते हैं। Domain Name System के पास Domain Name और IP Address दोनों की पूरी जानकारी होती है। इसी जानकारी को DNS Record कहा जाता है। DNS रिकॉर्ड निम्नलिखित कई प्रकार के होते हैं। जिनके काम अलग-अलग होते हैं।

  • A Record – Domain Name को IPv4 में अनुवाद करने वाले रिकॉर्ड को A Record कहा जाता है।
  • AAAA Record – Domain Name को IPv6 में अनुवाद करने वाले रिकॉर्ड को AAAA Record कहा जाता है।
  • CNAME Record – इसका पूरा नाम Canonical Name Record होता है, जो एक Subname को एक सच्चे या विहिप Domain Name से Map करता है।
  • MX Record – डोमेन नेम से जुड़े मेल सर्वर की पहचान करने वाले रिकॉर्ड को MX Record कहा जाता है।
  • TXT Record – इसका पूरा नाम Text Record होता है। इसका इस्तेमाल कई काम जैसे Domain Ownership, Domain को स्पैम से बचाना आदि में किया जाता है।

Domain Name और IP Address में क्या अंतर है?

Domain Name और IP Address दोनो DNS में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दिखने में दोनों अलग-अलग होते हैं, लेकिन दोनों का काम एक ही होता है। IP Address सिर्फ और सिर्फ नंबर्स (198.15.45.18) पर डिपेड रहते हैं जिसके कारण एक आम इंसान को उन्हे याद रख पाना बड़ा मुश्किल होता है, तो वहीं डोमेन नेम नाम (google.com) पर आधारित होते हैं। जिसके कारण इन्हे याद रखना बहुत आसान होता है।

डोमेन नेम छोटे और बड़े दोनों प्रकार के होते हैं। लेकिन अधिकतर लोग छोटे डोनेम नेम ही Buy करते हैं। क्योंकि छोटे डोमेन नेम को याद रखने में आसानी होती है।

Domain Name System के फायदे क्या हैं?

DNS के बहुत सारे फायदे होते हैं। जिनके बारे में आप नीचे विस्तार से जानेंगे।

  • DNS एक प्रणाली है जिसके कारण इंसान बड़ी आसानी से अपने काम की वेबसाइट के नाम को याद रखता है।
  • DNS के कारण बड़े-बड़े IP Address को याद नहीं करना पड़ता है।
  • डोमेन नेम प्रणाली की मदद से इंसान किसी भी वेबसाइट को एक्सेस कर सकता है।
  • DNS युजर्स तथा डोमेन नेम को हाई सिक्योरिटी प्रदान करता है।

FAQ – Domain Name System Kya Hai

Domain Name System से संबंधित अक्सर पूंछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर निम्नलिखित हैं।

Q1 – Domain Name System क्या है?

Domain Name System एक ऐसी प्रणाली है, जो इंसान द्वारा Type किये गये डोमेन नेम को IP Address में कंवर्ट करती है। जिससे ब्राउज़र और कंप्यूटर आसानी से समझ जाते हैं कि इंसान क्या सर्च कर है। क्योंकि इंटरनेट से Content सारी चीजें IP Address को ही समझती हैं।

Q2 – DNS का आविष्कार किसने किया था?

Domain Name System का अविष्कार साल 1980 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक Paul Mockapetris ने किया था।

ये महत्वपूर्ण लेख भी पढ़ें:

अंतिम शब्द – DNS Kya Hai

आज के इस लेख DNS Kya Hai और Domain Name System कैसे काम करता है? में हमने आपको डोमेन नेम सिस्टम के बारे में सारी जानकारी विस्तार से बताई है। यदि फिर भी इससे संबंधित आपके मन में कोई सवाल है, तो आप मुझसे कमेंट करके पूंछ सकते हैं। हम हर संभव आपकी मदद करेंगे।

मुझे आशा है कि आज का लेख DNS क्या है? आपको बेहद पसंद आया होगा। अगर ऐसा है, तो आप इस लेख को अपने मित्रों के साथ सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें।

Share To:

मेरा नाम आशीष कुमार है। मैं जिला कन्नौज उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। मैं एक फुल टाइम Blogger हूँ। आपको मेरे Blog पर Tech, Blogging, Online Earning से संबंधित आर्टिकल मिलेंगे। मेरे Blog पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!!!


Leave a Comment